Friday, October 10, 2008

Song By Swati Gupta Mam

This is a song by Swati Gupta mam and I am posting on behalf of her as she couldn't get time to post it due to her very busy schedule........

पुरानी कैंटीन और हमारे बंक
कॉलेज की वो त्रेअट्स यार
वो दुत्ता सर का हमपे चिलाना
वो खडूस कहना भहर आके यार

वो मिलना लंच में पुरे बैच
वो लगना गले दोस्तों से यार
लैब मैं चुपके से नेट चलाना
वो खाना पाटिल मैं की रोज डांट

वो नया कोई अफ्फैर सुना
करना गॉसिप पुरे दीन यार
वो dp की बहने बनाना (हम .. को नही पता)
वो सत्यम के कांग्रेस हाथ यार

वो असैन्मेंट रोज छापना
वो बंक करना लैब हर बार
स्तैर्स पर अपना ग्रुप बनाना
वो करना स्ट्राइक कॉलेज के बाहर

वो बस मैं रोज चिल्लाना
गाने गाना ज़ोर-ज़ोर से यार
वो लाइब्रेरी की लाइन पर खड़े होकर
लेना कॉलेज के पूरे हाल

बस यादें यादें रह जाती है
कुछ कुछ चोटी बातें रह जाती है ....

1 comments:

Anonymous said...

meri poem ko bigad karne walon ki khair nahi..ab to sahi kar do