फ़िर शाम ढली , फ़िर जाम खुले,
फ़िर याद तुम्हारी आई है ।
पैमानों के टकराने में और जामो के छलकाने में
फ़िर से वो मस्ती छाई है
फ़िर से दिल में इक टीस उठी औ फ़िर तू मुझको याद आई ,
फ़िर से दो बूँद लिए आँखों में, मुस्कान लबो पर छाई है ।
फ़िर से पैमाने टूटेंगे,जब बात तुम्हारी आएगी,
मैं तनहा ही रह दुनिया आगे बढ़ जायेगी ।
फ़िर मदहोशी के आलम में ,बेह्कुंगा औ सम्भ्लूँगा मैं ,
फ़िर तू मुझ पर छा जायेगी औ यादो में बस जायेगी
Saturday, November 15, 2008
SOONI SAANJH
Posted by sumit at 9:25 PM 2 comments
Wednesday, November 12, 2008
economic crises FROM MYE VIEW.....
after soo long i came back n wann to talk about economic crise
- Resently few days back when we are not facing alll these when all was going god n great, companies have raise salary of there executive n this has raise there living standard.
- These requirements have made them to buy flats i.e. they invest there money in real states.
- they buy lots of flats in america n india n place them in bank N GOT HUGE LOANS.IN TERMINOLOGY WE CALL IT "SUB PRIME LOAN" or "margage loans".
- but becouse of some reasons shares of real state has fallen down so market value has just crashed.
- as market goes down companies has to reduce there salary so there living standard effected.so unable to pay the instalment to the bank in order to clear there loans.
- meanwhile prises of real state also affected n market value decline.
- this made people to save money as salary goes down .
- those who have taken loans. instead of giving installment they handed over there property to the bank in the form of final money/instalment.
- now the ball is in banks side & they have to sell these property to recover there money.
- but they are unable to do so because of the gradual decrease in the prise of real state.
- so bank are now unable to get money from the market.
- these investment are so big and vast as they have use there money in market but unfortunatelly they loss this match.
- n finally they have nothing in there vault.
- some of the banks are LAHMANN BROTHERS, MERRILL LYNCH
- IN INDIA "ICICI".
Posted by Unknown at 6:42 PM 3 comments
Tera Saath Na Mila to.....
जिंदगी में किसी की जरुरत ना थी,
जब आप आए तो यह जिंदगी बड़ी छोटी लगने लगी!
दूर रहकर के भी आपके करीब आया हु,
तू तो नहीं लेकिन तेरा एहसास साथ लाया हु!
तड़पता तो मैं भी हु मिलने के लिए,
लेकिन रोते हुए भी आपको हँसाता हु !
इन यादो को तो मुझसे मत छीनो जिन्हें याद करके मैं जीता हु,
जो साँसों में बस चुके हैं उन्हें तो अब मत छेडो!
हर ख़ुशी को मेरी सजनी की ओर मोड़ दो,
मुझे और मेरे प्यार को कही अकेला छोड़ दो!
अब तो भगवान् से तेरा साथ मांगता हु,
हर सपने को हकीक़त में जीना चाहता हु!!
अगर आखिर में साथ ना मिला तो रब से भी क्या शिकायत करेंगे,
खुद को मारके दुसरे के लिए जी लेंगे!!
-Ankit Agarwal
Posted by AnAn at 2:55 PM 1 comments
Tuesday, November 11, 2008
आज फ़िर इक सपना याद आया ,
गीली ओस में नहाया भोर सुहाना याद आया
तेरा शहर तेरा आशियाना याद आया ,
आज फ़िर इक सपना याद आया
अमलतास के वृछ तले वो तेरा मिलना याद आया ,
वो शर्माना वो प्यार भरा नजराना याद आया ,
आज फ़िर इक सपना याद आया
ठंडी बयार सा तेरा गुज़रना याद आया,
लाज से बोझिल पलकों का झपकना याद आया,
आज फ़िर इक सपना याद आया
सिले होंठो का चीखना मौन आँखों का बहना याद आया ,
बंधे हाथो की कसमसाहट,टूट ते दिलो का दरकना याद आया,
आज फ़िर इक सपना याद शामो का मृत रातो से सामंजस्य याद आया,
नाम तेरा लेकर के मयखानों में बहकाना याद आया ,
आज फ़िर इक सपना याद आया.........
Posted by sumit at 9:21 PM 2 comments
Monday, November 10, 2008
here is my first rhythm...hope to see ur nice comments...
क्या उसकी बातों में सच्चाई थी ?
एक दिन मैं सुबह- सुबह सो कर उठा ही था की एक व्यक्ति मुझसे बोला ,
क्या है तेरे पास , किस पर है इतना विशवास ,
जो इस निरे जीवन में तू जीना चाहता है?
मैं जब तक कुछ समझ पता , वह व्यक्ति फिर बोला ,
क्या है अपना ,क्या है पराया ,
यह सब तो हैं जीवन की माया,
न जाने क्यूँ तू इस निरे जीवन में जीना चाहता है?
इससे पहले की मैं कुछ बोलता , वह व्यक्ति तपाक से फिर बोला,
तू क्या है .. एक पेड़ की तरह ....
जो ठूंट है तो साथ नही एक पात ,
और फल आते ही होते हैं सब साथ॥??
लेकिन इस बार इससे पहले वह व्यक्ति कुछ बोलता ,
मैंने उसे रोकते हुए बोला॥
"जिनको तू कहता है पराया वे ही हैं मेरे जीवन का साया,
और अगर साथ की बात हैं तो, मेरे साथ वोह है जो किसी क साथ नही है...
वोह है मेरा प्यार , मेरा विश्वास ॥
ये है उसकी हिम्मत ,उसका साथ॥
जो इस संसार में मैं जीना चाहता हूँ।
इतना कहते ही वेह व्यक्ति गायब हो गया....
और मेरे सामने था एक आईना ....
"क्या उसकी बातों में सच्चाई थी ?"
saurabh patel...
Posted by SAURABH at 9:32 PM 2 comments
Sunday, November 9, 2008
A haunting memory
Years Have Past Since WE Met,
Only memories to Cherish,Pains Are left.
Both walked hands klutched,never to be parted,
I'am Still there,U have departed.
Those gleefull days and restless whimpers,
Crossing all barricades,bridging all ciphers.
A momentarily anger and then a smile of millions,
Alike rose and aroma,milk and vermilion.
It was the curse of a forbidden fruit,either love was blind or we were mute.
Hallucinated by UR resence , I'm a living corpse,
Come bakk kaliing U my endless sobs.
U won't turn bakk,futie is my anxiety,
no one returns bakk from the abode of allmighty
Posted by sumit at 9:32 PM 4 comments