Sunday, October 26, 2008

Ravan Ram ke bhesh me

main bahut achha to nahi likhta but ha try karta hoon kabhi kabhi.....ye pankti bi nikli hai kabhi aaj ke hi din.......ummid hai galtiyo pe dhyaan nahi diya jayega..or utsahit kiya jayega .......waise kuchh typing mistakes hai....hindi me type karne ki ...


कुर्शी हेतु लडाई लड़े , आदर्श बचे अवशेष में
राम के भेष में ,बापू तेरे देश में

सोने की चिडिया से चल कर बन गए हम भिखारी ,
सत्य अहिंसा की बात नहीं बन गए हम ब्याभिचारी ,
लूट-पाट दंगा-फसाद भेजे अब सन्देश में,
रावन राम के भेष में ,बापू तेरे देश में

लोकतंत्र की नीव हिली संग संसद की गरिमा भारी,
नेता तीन सौ दो वाले या संग असलहा धारी,
अपने दिन मस्ती के बीते जनता चाहे क्लेश में,
रावन राम के भेष में ,बापू तेरे देश में

बिभागो में काम नहीं बिन पैसो के होता,
हिंसावादी फले फूले सत्य यहाँ अब रोता,
हवाला घोटाला आम बात इनके अब श्रीगणेश में,
रावन राम के भेष में ,बापू तेरे देश में

शिक्षा का स्तर ही बदला बढ़ गयी बेरोजगारी,
मर्यादा की बात नहीं असुरक्छित अबला नारी,
माँ बाप अब हुए पराये फंसे सभी है द्वेष में,
रावन राम के भेष में ,बापू तेरे देश में

पथ से बिचलित होय सभी समझे खुद को सयाने,
राम,कृष्ण,गांधी,नेहरु को कौन यहाँ अब माने,
तामस भोज करा के चाहू दिशी जीते ये जनादेश में,
रावन राम के भेष में ,बापू तेरे देश में

जिनकी बलिदानी अमूल्य ,बदतर हालत उनकी दिखती है,
मूर्ति महापुरुष की गिरती,हरदम सुनने को मिलती है,
लाओ मुद्दे मंदिर मस्जिद के ,देते ये उपदेश
मेंरावन राम के भेष में ,बापू तेरे देश में

कुर्शी हेतु लडाई लड़े , आदर्श बचे अवशेष में ,
रावन राम के भेष में ,बापू तेरे देश में

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