some emotional nd on social issues........hope u all ll b njoying......
न जाने कितने सपने दिखता है आदमी ,
पत्थर को पत्थरो से लडाता है आदमी.
अक्सर अहमियत अपनी,सागर में पाँव रखने की -
दूध माँ से भी छीन सांपो को पिलाता है आदमी.
गम और ख़ुशी छिपे है हर मंजर के आगे पीछे-
किसी को मंजिल किसी को खायी दिखाता है आदमी.
राहो में दिख जायेंगे अक्सर कमाने वाले-
अपनी ही बाजुओ को छुपाता है आदमी.
मन की दरिंदगी या दिल की दीवानगी कहोगे-
रिस्तो को अपने हाथो से मिटाता है आदमी.
सडको पे मारे फिरते है भूखे कदम हजारो-
दुनिया में आज इनको कहा खिलाता है आदमी.
तारे भी तोड़ने के करते बहुत है वादे-
माँ-बाप को वो घर में रुलाता है आदमी.
सूरज की लाली खोजू,बादल की ओट में मैं-
"पाठक" को आज लिखना भी सिखाता है आदमी.
8Semesters
80GB syllabus
80MB we study
80KB we remember
80Bytes we ans.
BINARY marks we get,
dis is know as B.Tech(Brain is Technically Empty)
15 years ago
3 comments:
Man gaye mughle aazam......poem wriying me to aapka koi saami nahi hoga..........[:)]
hmmm... it very well portray's the human nature... its difficult for some to xpress in words and some can do it so well that they dont feel its difficult...
dat was fantastik.....wakaai bahuttt accchi baat likhi hai aapney...
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