वो रात दीन देखता रहा,
वो ज़ख्म खाए बैठा है,
वो मरहम नही लगा रहा,
वो आग जलाने बैठा है.....
वो ज़िंदगी उजड़ते देख रहा ,
वो खून को सीच रहा,
वो कभी न चुप रहना चाहता है,
वो आग जलाने बैठा है.....
वो ज़ख्म का है करवा ,
वो सहन कर रहा दर्द को,
वो रात दीन जाग रहा ,
वो आग जलाने बैठा है.....
वो उठ खड़ा हो गया,
वो चला है काँटों को राह पर,
वो है आंसुओ का है कारवा
वो आग जलाने बैठा है.....
मुंबई हमलो मैं शहीद हो गए लोगो को मेरा सालाम
ऋषभ शुक्ला
वो ज़ख्म खाए बैठा है,
वो मरहम नही लगा रहा,
वो आग जलाने बैठा है.....
वो ज़िंदगी उजड़ते देख रहा ,
वो खून को सीच रहा,
वो कभी न चुप रहना चाहता है,
वो आग जलाने बैठा है.....
वो ज़ख्म का है करवा ,
वो सहन कर रहा दर्द को,
वो रात दीन जाग रहा ,
वो आग जलाने बैठा है.....
वो उठ खड़ा हो गया,
वो चला है काँटों को राह पर,
वो है आंसुओ का है कारवा
वो आग जलाने बैठा है.....
मुंबई हमलो मैं शहीद हो गए लोगो को मेरा सालाम
ऋषभ शुक्ला
5 comments:
abey hindi sudhar le mere angrezzzzz
SRRY SIR BUT THIS IS COMPUTER N I M NEW IN TYPING HINDI............SO PLZ DONN MIND....
watever boy....d poem waz gudd n its d heart dat matters...keep goin
right said Sumit..he is such a clean hearted guy but still i dont know why few people dont understand him and they run in search of others....
मैंने इस छोटी से लाइन में बहोत कुछ लिखा है , समझने वाले समझ जाएँ , न समझने वाले plzz dont waste their time.......
r8 job yaar.poem is really gud
Post a Comment