बने रहो पगला , काम करेगा अगला!
बने रहो लुल्ल , सैलरी पाओ फुल !
मत लो टेंशन , नही तो फॅमिली पायेगी पेंशन !
काम से दरो नही , काम को करो नही !
काम करो या न करो , काम की फीक्र जरूर करो !
....और फीकर करो न करो , जीक्र जरूर करो !
Vikas Bajpai
CS Final Year
बने रहो लुल्ल , सैलरी पाओ फुल !
मत लो टेंशन , नही तो फॅमिली पायेगी पेंशन !
काम से दरो नही , काम को करो नही !
काम करो या न करो , काम की फीक्र जरूर करो !
....और फीकर करो न करो , जीक्र जरूर करो !
Vikas Bajpai
CS Final Year
2 comments:
Hahaha..
definetly this is your poem...no one can thing like this way..
same as u always do..zkirk..
iske aage bhi toh badho.. ;)
vikas babu ye poem aap per bilkul fit baithti hai
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